यह मक्खी गाय के अगले पैर के बालों में अण्डा देती है। जिसमें से लार्वा निकलकर खाल के नीचे होता हुआ खाने की नली के पास पहुंच जाता हैं वहां से यह रीड़ की हड्डी के ऊपर खाल के नीचे गांठ बना लेता है।
लार्वा इस गांठ से मक्खी बनकर बाहर निकल जाता है। इससे पशु की खाल में छेद हो जाते है। तथा पशु का मांस भी जैली समान हो जाता है। तथा खाने लायक नहीं रहता है। इससे मांस व खाल की हानि होती है। इस रोग पशु दूध कम देता है और उसका वजन घट जाता हैं एवं गर्भपात होने की भी संभावना हो जाती है। इस मक्खी के लार्वा मनुष्य में आंख तथा मानसिक रोग उत्पन्न करते है। यह रोग आईवर मैक्टीन का इंजैक्सन लगाने से ठीक हो जाती है।