घर में बचा-कुचा भोजन एवं अनाज और वर्मिंग कम्पोज के केचुएं, कीडे एव घोंगे खाकर इन्हे आसानी से पाला जा सकता है।
7 से 4 दिन के बीच में मर्क रोग का टीका लगाया जाता है। 14 से 18 दिन में रानीखेत का टीका लगाया जाता है जिसकी की एक बूंद आंख में डाली जाती है। 15 दिन पर कम्बोरो का टीका लगाया जाता है।
35 दिन पर रानीखेत दुबारा से आंख में डाला जाता है। फिर 6 से 7 सप्ताह में पोक्स का टीका लगाया जाता है। और 8 से 10 सप्ताह पर रानीखेत का टीका लगता है। रानीखेत एक भयंकर रोग है लेकिन देशी मुर्गियों को यह रोग नही लगता है। इसलिए इतने अधिक टीको की आवश्यकता नही पडती है।
यह क्रोलर की प्रजाति है जो देशी मुर्गी के जैसी होती है और यह गामीण परिवेश के लिए अति उत्तम होती है।
ये कडकनाथ मुर्गी है यह घर के बचे भोजन एवं वार्मिंग कम्पोज के केचुओं पर पल जाती है इनका मांस काला होता है इसलिए इन्हें कालामांसी भी कहा जाता है। इनके अंडे एवं मांस का विभिन्न रोगों में औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। इन मुर्गियों को न के बराबर रोग लगता है।
नैकरीनैक मुर्गी में भी कोई विशेष रोग नही लगता है।