- इनको किसी विशेष आवास की आवश्यकता नही होती है।
- यह मुर्गी से 40 से 50 अंडे अधिक देती है।
- बत्तक का अंडा मुर्गी के अंडे की तुलना में 15 से 20 ग्राम अधिक होता है।
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- बत्तक के बच्चों का पालन-पोषण मुर्गी के बच्चों की तुलना में आसान है क्योंकि इनमें रोग कम लगते है।
- बत्तक का दाना भी सस्ता होता है क्योंकि ये घास एवं कीडे-मकोडे खाते है।
- बत्तक को एक बार रखने पर यह 3 वर्ष तक चलती है जबकि मुर्गी को 1 वर्ष में बदलना पडता है।
- बत्तक नदि के किनारे एवं दलदल वाले तराई के क्षेत्रा में पाली जाती है।
- बत्तक को शूअर एवं मछिलियों के साथ पाला जा सकता है।
- एक बत्तक दूसरी बत्तक को मार कर नही खाती है जबकि मुर्गी ऐसा करती है।
- बत्तक रात में अंडे देती है इसलिए इनके अंडों को आसानी से इक्क्ठा किया जा सकता है।
- बत्तख के अंडों में अधिक पौषक तत्व होते है।
- बत्तक के बच्चों में नर व मादा को पहचानना आसान होता है।
- बत्तक में परजीवी एवं रोग कम लगते है।
- बत्तक के पंखो को बर्फीले क्षेत्रों में आदमियों के लिए कोट बनाने में उपयोग किया जाता है।
- बत्तक आलू एवं अन्य सब्जिओं में लगने वाले कीडों को खाते है।
- बत्तक घोंघे को खाकर फसल में हानी को रोकते है।
- बत्तक गाय-भैंस में भी जीगर के कीडे को रोकने का भी एक साधन है क्योंकि यह घोंगें को खाती है।
- खाकी कैम्पैल जिसका बत्तक पालन में बहुत योगदान है का चित्र नीचे दिया गया है।