पसीना तभी सूखेगा, जब हवा में आर्द्रता अर्थात नमी कम होगी। इसीलिए बरसात में हवा में आर्द्रता बढ़ जाने से पसीना नहीं सूखता। हमें चिपचिपापन महसूस होता है। आर्द्रता के इसी बढ़ते प्रकोप को हम उमस और सड़ी गर्मी कहते हैं। संकर गायों को यह सड़ी गर्मी बेहद सताती है। इससे उनका दूध घटना शुरू हो जाता है। वे खाना-पीना छोड़ देती हैं। उन्हें बेहोशी तक आ सकती है। यहां तक कि उनकी जान भी जा सकती है। संकर गायों पर किये गये प्रयोग बताते हैं कि गर्मी और उमस से ये बेहद तनाव में आ जाती हैं। खास तौर से उमस भरी गर्मी इन्हें ज्यादा बेचैन करती है। उदाहरण के लिए यदि तापक्रम 26.7 डिग्री सेंटीग्रेड या 80 डिग्री फैरेनहाइड हो और आर्द्रता 85 डिग्री हो तो इससे उतना ही खिचाव यानी तनाव जानवर पर पड़ेगा जितना कि 31.1 डिग्री सेंटीग्रेड या 88 डिग्री फैरेनहाइड तापक्रम तथा 40 प्रतिशत आर्द्रता से। यानि तापक्रम कम होने पर अगर आर्द्रता बढ़ रही है तो भी जानवर के लिए यह परेशानी का संकेत है। इससे जानवर का दूध घटना शुरू हो जाता है। वह चारा कम खाता है। 33.3 डिग्री सेंटीग्रेड तापक्रम व 85 प्रतिशत आर्द्रता पर तो पशु में भयंकर दूध की कमी हो जाती है और वो चारा भी छोड देते हंै। 40 डिग्री तापक्रम एवं 80 प्रतिशत आर्द्रता पर गाय मूर्छित होकर मर भी सकती है।