कुत्तों में वर्मस (आंत्रिक परजीवी) (Worms)
कुत्तों में कई प्रकार के वर्म होते है जो उन्हें हानि पहुचाते है। राऊण्ड वर्म, टेप वर्म, हार्ट वर्म, हुक वर्म तथा विप वर्म आदिबहुत महत्व रखते है। तथा हर प्रकार का वर्म अपना अलग जीवनचक्र रखता है।
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कुत्तों में कई प्रकार के वर्म होते है जो उन्हें हानि पहुचाते है। राऊण्ड वर्म, टेप वर्म, हार्ट वर्म, हुक वर्म तथा विप वर्म आदिबहुत महत्व रखते है। तथा हर प्रकार का वर्म अपना अलग जीवनचक्र रखता है।
यह रोग भी लाइम रोग की तरह कुत्ते को लंगडा कर देता है कभी-कभी कुत्ते को उल्टी और दस्त भी होने लगते है और कुछ कुत्तो में मिर्गी भी हो जाती है। इस रोग में किडनी प्रभावित नही होती है।
यह रोग वाहय परजीवियों से होती है। इस रोग होने में 2 सप्ताह का समय लगता है। इसके लक्षण इतने हल्के होते है कि इस रोग की पहचान करना बहुत कठीन है| इसमें रक्त की कमी हो जाती है तथा रक्त की लाल कणिकाऐं (RBC) टुट जाती है जिसके कारण वुफत्ते में एनिमिया या खून…
यह एक भयंकर अति संक्रामक रोग है। इसका वायरस सारे शरीर में विभाजित होता है परन्तु इसकी संख्या सबसे आंतों में बढ़ती है। यह डब्लूवीसी (WBC) को भी हानि पहुंचाता है।और छोटे बच्चों में यह दिल की बिमारी भी करता है। लक्षण जानवर उल्टी करता है और उसके मल मे खून आता है। और पानी…
इसका विषाणु कुत्ते, बिल्ली और मनुष्य के दिमाग पर प्रभाव डालता है। विश्व में इस रोग से लगभग 50 हजार मनुष्य प्रतिवर्ष मरते है। लक्षण इस रोग में कुत्ता बेचैन हो जाता है। तथा हर जीव को काटना शुरु कर देता है। तथा कुत्ता आवाज व प्रकाश से असंवेदनशील हो जाता है। तथा वह बेकार…
यह एक मनुष्यों से कुत्तों में और कुत्तों से मनुष्यों में फैलने वाला रोग है। इस रोग में गुर्दे प्रभावित होते है। इस रोग में कुत्ता खाना नहीं खाता है। उल्टी करता है, उसके पेट में दर्द होता है। और उसे बार-बार पेशाब आता है। इसमें गुर्दे फेल हो जाते है। तथा कुत्ते का जिगर…