इस रोग में शारीरिक तापक्रम 40 डिग्री से 41 डिग्री सेंटिग्रेड के बीच पहुंच जाता है। फिर 36 घंटे में सामान्य हो जाता है। दूध आधे से भी कम हो जाता है। यदि गाय गर्भवती हो तो गर्भपात हो जाता है। यह गर्भपात विषाणु की वजह से नहीं होता, बल्कि अधिक तापक्रम की वजह से होता है। पशु कुछ खाता नहीं तथा उसके आंख, नाक तथा मुंह से पानी निकलता है। पशु की जीभ सूख जाती हैं। इसमें एक प्रतिशत पशुओं की मृत्यु भी हो जाती है। यह रोग क्यूलेक्स मच्छरों के काटने से होता है और इसका वाइरस अरबोवाइरस है। ये मार्च से सितम्बर तक के बीच में होता है। इसकी वैक्सीन उपलब्ध है, परन्तु भारत में नहीं लगायी जाती हैं। ये रोग एक बार से दोबारा नहीं होता। इसे तीन दिन की बीमारी के रूप से भी जाना जा सकता है।
What’s the treatment