जब तक हम 3 या 4 गाय या भैंस से 20 से 25 लीटर दूध पैदा करते है और पशुओं की देखभाल भी स्वयं करते है अर्थात लेबर पर निर्भर नहीं होते है तब तक डेयरी का व्यवसाय अधिक लाभकारी दिखाई देता है लेकिन जैसे ही हम 100 से 200 लीटर दूध पैदा करने की सोचते है तो कभी-कभी डेयरी के विषय में ज्ञान न होने के कारण डेयरी को असफलता के कारण बन्द करना पडता है।
दुग्ध पशुओं का चयन यदि हम भैंस या देशी गाय रखते है तो हमको औसत दूध उत्पादन 6 से 7 लीटर प्रतिदिन प्रतिपशु से अधिक नही मिलता है और भैंसों में निम्न समस्याओं का सामना करना पडता है।
- भैंस देर से व्यस्क होती है
- भैंस प्रजनन सर्दी में होता है
- इसका 10 माह 10 तक गर्भ धारण करती है।
- इसका में दो बच्चे पैदा होने का अंतराल काफी अधिक होता है।
- भैंस गर्भ धारण करने के बाद दूध देना सीघ्र बन्द कर देती है।
- भैंस के गर्म होने के लक्षण आसानी से नही पहचाने जा सकते है।
- वैसे भैंस में खुरपक-मुंहपक का रोग नहीं होता है और निम्न कोटि के चारे पर रह लेती है
- इसके दूध के बिकने में कोई कमी नहीं होती है।
- इसको अधिक वर्षा या बाढ आने से अधिक नुकसान नहीं होता है।
- यह बुडढी होन पर बडी आसानी से बिक जाती है और इसके नर बछडे भी अच्छी कीमत पर बिक जाते है।
उपरोक्त बातों के विशलेषण से यह सारांश निकलता है कि भारत के परपेक्ष में जीविका के साधन के लिए भैंस एक अच्छी पसंद है। लेकिन अच्छी भैंस की कीमत एक से दो लाख होती है। और केवल भैंसों की डेयरी कभी-कभी हानि में चली जाती है, यदि भैंसो के साथ विदेशी गायों को न रखा जाए। देशी गायों में गिरि गाय की डेयरी की संभावना है लेकिन गिरि गाय एवं इसका वीर्य बहुत मंहगा है। यह गाय गर्म तथा सूखे वातावरण जैसे राजस्थान, गुजरात में तो लाभकारी है। लेकिन दूसरे प्रांतो में इसका लाभकारी होना बाकी है।
साहिवाल गाय में रोग कम लगते है और इसको अधिक तापक्रम पर भी आसानी से रखा जा सकता है। लेकिन इसका औसत उत्पादन 6 से 7 लीटर प्रतिदिन होता है। यह गाय बिना बच्चेे के दूध देने में समस्या करती है एवं कुछ गायों में दूध निकालने में भी समस्या होती है। इनसे जनित नर बच्चे भी डेयरी में बडी समस्या है।
हाॅलिस्टीन गाय की डेयरी में दुग्ध उत्पादन तो 30 से 35 लीटा प्रतिदिन मिल सकता है लेकिन इन गायों को टिकाकरण पशुचिकित्सा पशुपोषण एवं डेयरी प्रबन्धन की विशेष सुविधाओं की आवश्यकता होती है। यह गाय थनेला एवं खुपक के रोग एवं रुधिर के परजीवियो के रोग के लिए विशेष उपचार की आवश्यकता होती है। जर्सी में भी इसी प्रकार की समस्या है। लेकिन डेयरी व्यवसाय इन्हीं गायों पर निर्भर है क्योकि ये गाय पूरे वर्ष निरन्तर काफि दूध देती है। एवं यह गाय प्रथम बार 2 वर्ष में ब्याह जाती है।
उपरोक्त कारणों से अपने संसाधनो को देखते हुए डेयरी पशुओं का यथायोग्य चयन न करने से या अनुभव की कमी होने से डेयरी असफल होने की काफि संभवनाऐं होती है।
लेबर की समस्या
डेयरी में कुशल लेबर की आवश्यकता पडती है इसलिए आप अपनी डेयरी को जितना अधिक यांत्रिकरण करेगे, उतना ही लेबर पर निर्भरता कम होगी।
- आप अपने पशु को खुले बाडे में रखे जिसमें चारा पानी हर समय उपलब्ध हो एवं वह स्वेच्छा से छाया या धूंप बैठ सके। डेयरी पशु आवास के लिए आप नांजीमलंण्बवउ देखे।
- डेयरी पशुओं का दूध निकलना एक कौशल है। और यह आवश्यक है कि आप दूध निकालने की मशीन का प्रयोग अवश्य करें। दूध के वितरण के लिए 24 घंटे में एक ही समय रखे तथा दूध निकानले के बाद उसे 4 डिग्री सेटीग्रेट पर रखने के लिए बल्क कुलर में रखें। इस बल्क मिल्क कुलर में आप बचा हुआ दूध रख सकते है। अपने पशुओं को किसी अच्छी कम्पनी के दाने को उनकी सलाह से दे और सूख दाना दें। आजकल चारे के लिए तैयार साइलेज उपलब्ध या आप स्वयं भी साइलेज बना सकते है। जिससे आप रोज-रोज चारा लाने के श्रम से बच जाऐंगे। आप हाइड्रोपाॅनिक से भी चारा उगा सकते है।
- गाय के बच्चों को जल्दी ही काॅफ स्टाटर (बच्चों का दाना) पर रखे। बच्चे को दूध बोतल से ही पिलाऐं क्योंकि बच्चा अपने वजन का 10 प्रतिशत ही दूध पीता है जो कि करीब 3 से 4 लीटर होता है जिसकी कीमत 200 रु. लीटर है। विदेशी गाय 20 से 30 लीटर दूध देती है जिससे बच्चा अधिक दूध पीने से मर जाता है। जबकि बच्चे का काॅफ स्टाटर (बच्चों का दाना) 25 से 30 रु. में बन जाता है और जब बच्चा 1 किग्रा काॅफ स्टाटर (बच्चों का दाना) खना शुरु कर दे, तो उसका दूध बन्द कर दे तथा जब वह 3 किग्रा काॅफ स्टाटर (बच्चों का दाना) खाने लगे तभी उसे चारा देना शुरु करें इस प्रकार से आप धन तथा श्रम बचत करेगें।
- दूध निकालने की मशीन के लिए नांजीमलंण्बवउ देखे।
- पशुओं में प्रजनन के लिए यथायोग्य वीर्य का संग्रहन डेयरी खोलने से पहले कर लें एवं प्रजनन विशेषज्ञ की सलाह से अच्छे वीर्य का प्रयोग करें। इसके लिए आप तरल नाइट्रोजन जार खरीदे और आप स्वयं गर्भाधान में दक्षता प्राप्त कर लें। इसके लिए डेयरी खोलने से पूर्व प्रशिक्षण प्राप्त करें। डेयरी में प्रजनन को सुचारु रुप से चलाने के लिए हारमोनों के विषय में पशु प्रजनन विशेषज्ञ की सलाह ले और नांजीमलंण्बवउ पर पशु प्रजनन को देखे। हारमोन के उपयोग नियन्त्रित प्रजन और बार-बार ग्याभिन होने की समस्या से बच सकते है। विदेशी नस्ल के पशु जैसे हालिस्टीन गाय थिलेरिया रोग से मर जाती है। इसके विषय में पूर्ण ज्ञान प्राप्त कर लें। रुधिर के दूसरे परजीवी जैसे बबेसिया, ट्राईपैनोसोमाइसिस से सचेत रहे। रुधिर को प्रभावित करने वाले बैक्टीरिया का रोग एनाप्लाजमोसिस से सतर्क रहे।
- इमरजन्सी रोग जैसे गाय का पेट फूलना, मिल्क फीवर, कीटोसिस तथा मैस्ट्राटिस के उपचार के लिए अपने पशु चिकित्सक से तुरन्त उपचार कराऐं।
- ब्याने के 20 दिन पूर्व एवं ब्याने के 20 दिन बाद गायों का विशेष ध्यान रखे तथा यह कोशिश करे की जुलाई या अगस्त की ब्याही गाय न खरीदे।
- विदेशी नस्ल की 25 डिग्री से अधिक तापक्रम पर बिमार रहती है, एवं दूध कम देती है, चारा कम खाती है और 40 डिग्री तापक्रम पर मर जाती है। यह विदेशी गाय की डेयरी के असफल होने का सबसे बडा कारण है। इसके लिए डेयरी का आवास सुचारु हो तथा उसमें पंखे और फोगर का होना अनिवार्य है।