- फास्फोरस की कमी के कारण
- ‘ब्रेकन फर्ण’ को खा जाने से होता है।
- रक्त के परजीवी, बबेसिया का कारण– परजीवी बबेसिया के कारण गौ-मूत्र में रक्त आने पर पशु को काफी तेज बुखार आता है।वह कुछ भी नहीं खाता। उसका दूध भी बंद हो जाता है। इसके साथ-साथ वह हांफने भी लगता है और सही उपचार न होने पर मर भी सकता है। ऐसी अवस्था में उसे एंटीबाॅयोटिक आदि का उपचार करवाने से कोई फर्क नहीं पड़ता। जिस तरह ‘मलेरिया’ में कुनैन देने पर ही रोग से छुटकारा मिलता है, ठीक उसी तरह बबेसिया में भी होता है। क्योंकि यह रोग भी रक्त के परजीवी के कारण ही होता है। ऐसे में इसके निदान के लिए ‘बैरेनिल’ ही देनी पड़ती है। इस इंजैक्शन को आप ब्रेकन फर्न अपने पशु चिकित्सक से लगवा सकते हैं। वैसे पशुओं के रक्त के परजीवियों के लिए रेडि टू यूज भी प्राप्त है, जो कि पशुओं में होने वाले अन्य परजीवियों को मारता है। ‘बैरेनिल’ या ‘रेडि टू यूज’ दवाईयाॅं लगाने के चार दिन तक फिर ये दवाई 65 घंटे बाद दोबारा नहीं लगाई जाती। जरूरत पड़ने पर आवश्यकता अनुसार अपने पशु चिकित्सक की सलाह पर इसे पुनः लगा सकते हैं। इस रोग में खून खत्म हो जाता है। इसलिए पशु हांफता है और दुर्बल हो जाता है। ऐसे पशु को ज्यादा चलाना नहीं चाहिए और यदि वो बैठा हो तो उसे बैठा ही रहने देना चाहिए। यदि अगर रोटी खा लेता है तो उसे 8-10 रोटी खिला देनी चाहिए। यदि घास खाता हो तो उसे घास भी खिला देनी चाहिए। यदि वो घास न खाये, तो घास जबरदस्ती उसको खिलानी चाहिए। इसके लिए एक मुट्ठी घास लेकर उसके मुंह में डालें। इस प्रकार एक डेढ़ किलो घास उसे खिलायें। ऐसा दिन में 3 से 4 बार करें।
- फास्फोरस की कमी के कारण–इस अवस्था में लाल चटक रंग का खून मूत्र में आता है, पर पशु को बुखार नहीं होता और पशु सामान्यरूप से खाता-पीता है। ऐसे में फास्फोरस की कमी के लिए आप पशु को फास्फोरस का इंजैक्शन लगवायें। अपने पशु चिकित्सक से ‘टोनो फास्फान’ का इंजैक्शन खाल के नीचे, नस में या मांस में कहीं भी लगवा सकते हैं। यह आवश्यकता अनुसार पांच से दस मिली लीटर दिन में दो या तीन बार लगवायें, जब तक मूत्र में खून आना बंद न हो जाये।
- ब्रेकन फर्ण को खा जाने से–यह बीमारी केवल हिमालयी पर्वतीय इलाकों में होती है। यह रोग अकसर मार्च से जुलाई तक अधिक होता है। इसमें गाय धीरे-धीरे दुर्बल होती चली जाती है और उसके पेट में और आंतों में ट्यूमर हो जाता है। ऐसी गाय बबेसिया या फास्पफोरस के उपचार से भी ठीक नहीं होती। इसका केवल उपचार यही है कि उसको ‘ब्रेेकन फर्ण’ न खाने दें। ब्रेकन फर्ण कई महीनों के खाने के बाद ही पशु बीमार होता है। ऐसा पशु कमजोर हो जाता है तथा उसके मूत्र में रक्त भी आता है। इस रोग में आंत के ऊपर वाले हिस्से में कैंसर होने की सम्भावना रहती है।