इसका विषाणु कुत्ते, बिल्ली और मनुष्य के दिमाग पर प्रभाव डालता है। विश्व में इस रोग से लगभग 50 हजार मनुष्य प्रतिवर्ष मरते है।
लक्षण
इस रोग में कुत्ता बेचैन हो जाता है। तथा हर जीव को काटना शुरु कर देता है। तथा कुत्ता आवाज व प्रकाश से असंवेदनशील हो जाता है। तथा वह बेकार की चीजों को खाना शुरु कर देता है। इस रोग में गले तथा जबडे की मांस-पेशियां शिथिल हो जाता है। जिससे मुंह से लार गिरती है। कुत्ता इधर-उधर दौड़ना शुरु कर देता है।
इलाज
इसके निवारण के लिए पशु चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। यदि आपका कुत्ता दुसरे कुत्तों के संपर्क में नहीं आता है, तो आप टीकाकरण को कुछ समय के लिए टाल भी सकते हैं वैसे इसका टीकाकरण प्रतिवर्ष करा लेना चाहिए। और इसके सीरम में एंटीबॉडी की पुष्टि भी आवश्यक है। यदि आप अपना कुत्ता विदेश भेजतें है तो आपको इसकी एंटीबॉडी की उपस्थिति की पुष्टि इंग्लैण्ड की लैब से करानी पड़ेगी।