यह एक भयंकर अति संक्रामक रोग है। इसका वायरस सारे शरीर में विभाजित होता है परन्तु इसकी संख्या सबसे आंतों में बढ़ती है। यह डब्लूवीसी (WBC) को भी हानि पहुंचाता है।और छोटे बच्चों में यह दिल की बिमारी भी करता है।
लक्षण
जानवर उल्टी करता है और उसके मल मे खून आता है। और पानी की कमी से मर जाता है। यह रोग संक्रमित कुत्ते के मल से मनुष्य व जानवरों में फैलता है। इसका जीवाणु कई माह तक कुत्तें व घर की वस्तुओं से चिपका रहता है।
पहचान
यह रोग अपने लक्षणों से पहचाना जाता है। इसके लिए अपने पशु चिकित्सक से संपर्क करें।
यह रोग कौन से कुत्तों को लगता है
यह रोग डोबरमैन, जर्मनसैपफर्ड, लबरडॉग तथा रोटविलर को अधिक लगता है। यह जंगली जानवरों को भी लग जाता है।
टीकाकरण
इसके लिए कुत्ते के बच्चों को फाइव इन वन (Five in One) से टिकाकरण करते है। फाइव इन वन डिस्टैम्पर, हिपेटाइटिस, लिप्टोस्पाइरोसिस, पारवो तथा पैराइनफ्रलंजा।