
अच्छी गाय के साथ अच्छा दुहने वाला भी जरूरी
गाय बेशक दूध की ‘ए.टी.एम’ यानि आटोमेटिक मशीन की तरह है। मगर ध्यान रहे अगर इसे दुहने वाला अनाड़ी है तो ये जादुई मशीन बेकार भी हो सकती है। अगर ढंग से दूध नहीं दुह पाये तो वह धीरे-धीरे दूध देना ही बंद कर देगी।
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चारे का साईलेज (अचार) बनाना (Stored Fodder- Silage)
बरसात में जब अधिकाधिक मक्का की खेती होती है। जब मक्का को काटकर आॅक्सीजन रहित स्थान पर 45 दिन तक रखने से मक्का साईलेज बनता है। इसे गाय भैंस को खिलाकर अधिक दूध उत्पादन कर सकते है।
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मोरंगा या सहेजन की खेती
मोरंगा या सहेजन की पत्ती कम वर्षा वाले क्षेत्रों में पशुओं के लिए साल भर चारा प्राप्त कराती है। यह 100 मिट्रिक टन चारा प्रति हेक्टेअर एक बार फसल लगानें से 3 वर्ष तक फसल देती है।
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हाइड्रोपोनिक द्वारा चारा उगाना
पशुओं के लिए चारा उगाना घास का चारा घास के बीजों से डेयरी पशुओं तथा मुर्गी, सूअर और बकरी के लिए उगाया जा सकता है। यदि हम वातावरण में कार्बन डाॅइ आॅक्साइड की मात्रा को बढ़ा दें तो 8 दिन से पहले भी चारा उगाया जा सकता है।
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पशुओं को यूरिया खिलाना
देश में ‘लाइव स्टाॅक डेवलपमेंण्ट बोर्ड’ द्वारा यूरिया, सीरा और नमक की चाटन भेली उपलब्ध है।
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ब्यांने वाली गाय का आवास
गर्मी से बचाव आवश्यकः- पशुओं को गर्मी से बचाना बेहद जरूरी है इसके लिए किसी ज्यादा खर्चीले घर की जरूरत नहीं है।
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गायों के आवास की जरूरी बातें
आजकल ‘मनरेगा’ योजना की वजह से लेवर (मजदूर) मिलना बहुत मुश्किल होता जा रहा है। हालत यह है कि लेवर, दस हजार रूपये महीने से कम में नहीं मिलती।
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तापक्रम व आर्द्रता का असर
यह सामान्य समझ की बात है कि हमें गर्मी से राहत तभी मिलती है, जब हमारा पसीना सूखता है। पसीना तभी सूखेगा, जब हवा में आर्द्रता यानी नमी कम होगी।इसीलिए बरसात में हवा में आर्द्रता बढ़ जाने से पसीना नहीं सूखता। हमें चिपचिपापन महसूस होता है।
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