
दूध का महत्व
जब कृषि विकास की बात की जाती है तब अनाज, फल और सब्जियों के उत्पादन की बात की जाती है परन्तु हाॅलिस्टीन तथा जर्सी गायों के अति हिमकृत बीज से बहुत सी ऐसी गाय उत्पन्न हो गई है जो कि 15 से 30 लीटर दूध प्रतिदिन बडे आराम से दे देती है और कृषक अनाज,…
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विभिन्न देशों में मनुष्य तथा गायों का अनुपात
दुनिया के पांच देशों में दूध देने वाले पशुओं की संख्या मनुष्यों की संख्या से अधिक है। सबसे ज्यादा पशु 12 मिलियन उरगुवै (ब्राजील के पास का देश) में हैं। वहां की जनसंख्या 3 मिलियन है। अर्थात वहां प्रति मनुष्य 3.5 पशु हैं।
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वर्मस को पहचानने की विधि
वर्मस को पहचानने की विधि यह लक्षणों से पहचाना जा सकता है। राउण्ड वर्म 8 से 10 सेमीं लम्बा होता है और यह मल में देखा जा सकता है। टेप वर्म के छोटे-छोटे चावल के समान टुकड़े मल में देखे जा सकते है। हुक वर्म तथा विप वर्म बहुत छोटे होते है यह .5 मिलीमीटर…
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कुत्तों में वर्मस (आंत्रिक परजीवी) (Worms)
कुत्तों में कई प्रकार के वर्म होते है जो उन्हें हानि पहुचाते है। राऊण्ड वर्म, टेप वर्म, हार्ट वर्म, हुक वर्म तथा विप वर्म आदिबहुत महत्व रखते है। तथा हर प्रकार का वर्म अपना अलग जीवनचक्र रखता है।
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त्वचा के रोग के संबंध में विशेष बाते
त्वचा की समस्याओं के लिए किसी अच्छे पशु चिकित्सक एवं अच्छी प्रयोगशाला की आवश्यकता पड़ती है। इसमें बचाव की अधिक आवश्यकता है।
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कुत्ते की त्वचा की समस्याऐं
कुत्ते की त्वचा की परेशानिया पशु चिकित्सक के यहां सबसे अधिक भीड़ कराती है। कुत्ते की त्वचा की 5 बड़ी परेशानियां है।
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कुत्ते में कैनाइन इहिलिचियोसिस का रोग
इस रोग में मुंह से खून आता है एवं कुत्ते को बुखार आता है। यह रिकिटशिया नाम के शूक्ष्म जीवी से होता है जो कि न तो बैक्टीरिया होता है और न ही वायरस होता है।
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कुत्तो में एनाप्लाजमोशिस रोग
यह रोग भी लाइम रोग की तरह कुत्ते को लंगडा कर देता है कभी-कभी कुत्ते को उल्टी और दस्त भी होने लगते है और कुछ कुत्तो में मिर्गी भी हो जाती है। इस रोग में किडनी प्रभावित नही होती है।
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कुत्तों में लाइम रोग
लाइम रोग वाहृय परजीवियों से होने वाला रोग है लेकिन इसके लक्षण कम ही कुत्तों में दिखई देते है। इसका विशेष लक्षण कुत्ते का लंगडा हो जाना है और कुत्ता सुस्त हो जाता है और वह खाना नहीं खाता है।
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कुत्तों में बबेसिया रोग
यह रोग वाहय परजीवियों से होती है। इस रोग होने में 2 सप्ताह का समय लगता है। इसके लक्षण इतने हल्के होते है कि इस रोग की पहचान करना बहुत कठीन है| इसमें रक्त की कमी हो जाती है तथा रक्त की लाल कणिकाऐं (RBC) टुट जाती है जिसके कारण वुफत्ते में एनिमिया या खून…
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