यह एक मनुष्यों से कुत्तों में और कुत्तों से मनुष्यों में फैलने वाला रोग है। इस रोग में गुर्दे प्रभावित होते है। इस रोग में कुत्ता खाना नहीं खाता है। उल्टी करता है, उसके पेट में दर्द होता है। और उसे बार-बार पेशाब आता है। इसमें गुर्दे फेल हो जाते है। तथा कुत्ते का जिगर भी संक्रमित होता है। और उसे पिलिया हो जाता है। तथा कुत्ते के फेफड़े भी संक्रमित हो सकते है। कीड़नी के फेल होने पर तथा पिलिया होने पर कुत्ते को गुलुकोज पर रखा जाता है। क्योंकि यह रोग मनुष्यों में फैल सकती है। इसलिए इसमें सावधानी बरतनी चाहिए। यदि मनुष्यऔर कुत्ता एक साथ बीमार हो तो कुत्ते तथा मनुष्य को तुरन्त डॉक्टर को दिखाना चाहिए। कुत्ते के पेशाब को तुरन्त साफ करना चाहिए। इसके लिए अपने कुत्ते को पहले पार्वो और टिस्टैम्पर से टीकाकरण करे और फिर कई सप्ताह बाद लिप्टोस्पाइनोसिस का टीकाकरण करें। यह रोग चूहे के पेशाब से लगता हैं इसलिए चूहों को नियंत्राण में रखें। इस रोग में बुखार आता है और कुत्ता कांपता है, उसके पेट में दर्द होता हैं और वह उल्टी करता है। पिफर बाद में कुत्ते की आंख लाल होने लगती है। तथा उसके पेशाब में भी लाली आनी शुरु होती है। यदि शरीर का तापमान सामान्य से कम हो जाता है तो वह खतरें की घंटी है।पहचान करनाइस रोग की पहचान आसान नहीं है। डब्लूबीसी तथा न्यूट्रोफिल का बढ़ जाना इसकी पहचान है। परन्तु यह रोग दूसरे रोग सेभ्रमित हो जाती है। यह रोग मनुष्यों को भी लग जाती हैंइसलिए कुत्ते के पेशाब को तुरन्त साफ करना चाहिए। टिकाकरण इसका टीकाकरण आवश्यक नहीं है। कभी-कभी इसके टीकाकरण से रियक्सन भी हो जाता हैं और इसलिए इसके टीकाकरण को सोच-समझकर ही करना चाहिए। वैसे इसका टीकाकरण 4 माह बाद होता है। यह सूखे स्थान व 42 डिग्री तापमान पर इसका जीवाणु मर जाता है। तथा घर में प्रयोग होने वाले फिनाइल, डिटॉल आदि से मर जाता है।
कुत्तों में लेप्टोस्पायरोसिस रोग
UK Atheya /
Dog Disease, Dogs /