गाय बेशक दूध की ‘ए.टी.एम’ यानि आटोमेटिक मशीन की तरह है। मगर ध्यान रहे अगर इसे दुहने वाला अनाड़ी है तो ये जादुई मशीन बेकार भी हो सकती है। अगर ढंग से दूध नहीं दुह पाये तो वह धीरे-धीरे दूध देना ही बंद कर देगी।
हम अज्ञानता में इसके लिए अच्छी खासी गाय पर दोष मढ़ने लगते हैं। जबकि गाय को बिगाड़ने के लिए हम ही दोषी होते हैं। इसलिए इस पर हम विस्तार से चर्चा करें, यह जरूरी है। इससे पूर्व गाय के शरीर से दूध के उतरने की प्रक्रिया को जानना भी जरूरी है। यह तो हम जानते ही हैं कि आम तौर पर जब बछड़ा या बछड़ी गाय के पास छोड़ा जाता है तो कुदरतन गाय के थनों में दूध उतर आता है। ठीक ऐसा ही ‘मिल्किंग’ मशीन या फिर दूध के बर्तनों की आवाज सुनकर भी होता है।
यह सब कुछ एक स्वतः प्रक्रिया है। गाय इसकी अभ्यस्त हो जाती है। इस सारी प्रक्रिया के पीछे वैज्ञानिक तथ्य यह है कि अपना बच्चा देखकर या मशीन व बर्तनों की आवाज से गाय का मस्तिष्क रोज की अपनी आदत के अनुसार हरकत में आ जाता है। वह शरीर की प्रमुख अंतः स्रावी ग्रंथि ‘पिट्यूट्री’ को दूध के स्राव के लिए जिम्मेदार हारमोन ‘आक्सीटोसिन’ को उत्प्रेरित करता है। यह खून में उतर कर थनों में स्थित दूध की नलियों के गुच्छों के ऊपर स्थित थैली को संकुचित करती है इससे थनों में दूध उतर आता है। इस तरह दूध थनों में इस ‘बाॅस्किट सैल’ के संकुचन से ही उतरता है। यह संकुचन ‘आॅक्सीटोसिन’ हार्मोन के असर से होता है। थन को चाहे आप जितना भी खीचें, अगर वहाॅं ‘आॅक्सीटोसिन’ की उपस्थिति नहीं है तो दूध थन से बाहर आ ही नहीं सकता। ‘आॅक्सीटोसिन’ का यह असर 10-15 या अधिकतम 20 मिनट तक ही रहता है। इसलिए यदि इतने समय में दूध नहीं निकाला तो पिफर दूध नहीं उतरेगा। ‘आॅक्सीटोसिन’ फिर दुबारा 20 मिनट बाद ही अपना असर दिखाता है। जो लोग 10-15 मिनट में दूध नहीं निकाल पाते, वे अकसर यह शिकायत करते हैं कि गाय दूध चढ़ा ले रही है। कभी-कभी तो वह ‘आॅक्सीटोसिन’ के इंजेक्शन से ही दूध उतारने की आदी हो जाती है। आजकल सभी संकर गाय अमूमन इसी प्रकार की होती हैं। डेयरी व्यवसाय में यह आवश्यक है कि दूध निकालने वाला काफी तीव्रता से दूध को निकाले अन्यथा कितने भी अच्छे रख-रखाव या खान-पान की व्यवस्था आप करें, गाय खराब हो सकती हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि दूध निकालने में ‘निपुण’ आदमी ही दूध निकाले। आप विकल्प के तौर पर दूध निकालने की मशीन का प्रयोग भी कर सकते हैं। ‘आॅक्सीटोसिन’ हार्माेन 10 अमाइनो ऐसिड का छोटा सा प्रोटीन है, जो कि कुछ सेकण्ड की अवधि में ही शरीर में बनकर नष्ट हो जाता है। यह हार्मोन मनुष्य या गायों में किसी प्रकार के रोमांच होने से भी प्रभावित होकर नष्ट हो जाता है। हमारी जानकारी में शरीर पर इसके दुष्प्रभाव का या इससे कैंसर जैसे रोग हो जाने का कोई प्रमाण नहीं है। यदि अगर किसी को इस बारे में और सूचना प्राप्त करनी है तो वह यहांॅ दिये जा रहे ईमेल का प्रयोग भी कर सकते हंै। पशुओं में ‘आॅक्सीटोसिन’ के रसाव की प्रक्रिया आनुवंशिक है। आजकल अधिकांॅशतः भैंसों तथा गायों में कृत्रिम गर्भाधान द्वारा ही प्रजनन होता है। इसलिए यह समस्या अब पहले के मुकाबले कम है।
वह इंग्लैण्ड के कैम्ब्रिज विश्व विद्यालय में प्रोफेसर वेथिस ‘आॅक्सीटोसिन’ पर कई वर्षों से शोध कर रही हैं। मिलिकिंग मशीन हाथ से दूध निकालने से भिन्न होती है। इसमें थन की रक्त शिराओं में रक्त का प्रभाव अधिक करने पर दूध निकलता है। तथा कम करने पर ऊपर से और दूध आ जाता है। इस प्रकार संकुचन तथा फैलाव की क्रिया से दूध निकाल लिया जाता है। मशीन थन में लगी रहे इसके लिए इसमें वैक्यूम बनाया रहता है।