1938 में वीर्य को लम्बी अवधि तक गिलीस्टोल प्रयोग का उपयोग करके इससे अन्नत काल तक सुरक्षित रखने (फ्रोजेन सीमन स्टोरेज) का अविष्कार हुआ। परन्तु यह विधि 1950 से प्ररम्भ हुई अब तरल नाइटोजन से -300 डिग्री इसको 30 साल तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
सेक्स सीमन (बछिया पैदा करने का वाला जमा हुआ मावेशी सीमन)
भारत एक कृषि प्रदान देश है भारत में 200 मीलियन गााय 100 मीलियन भैसे है। भारतवास मुख्या रूप से बछडा पैदा करने पाली जाती रही है। दूध् देने वाली नस्ल की गाय से जैसा गिरी, साहिवाल, राठी तथा रेड सिंध् गाय दूध् के लिए पाली जाती है। कृषि के यन्त्रिा करण तथा टेक्टर से खेती करने से बैलो की उपयोगिता नही के बाराबार है। ऐसे में गाय के बछडे एक बडी समास्या है। यह बछडे भारतवास के सभी मंडी के आस-पास देखे जा सकते है।

यह बछडे यात्रायात्रा में विभिन्न करते है और कभी कभी आदमी को चोट भी पहुचते है। तथा यह खेत मे जाकर नुकसान करते है। ओर उनकी वजह से देश चारे की भी कमी भी महसूस होती है। धर्मिक कारणो से गो वाध् पर प्रतिबन्ध् है। इसलिए उनका कोई उपाय नही है। परन्तु 1202 से अमेरिका में ऐसे बीज की उपलब्ध करा दी जिससे 90 प्रतिशत बछिया पैदा करने का दावा किया जाने लगाा। अमेरिका में 2006 तक 1.5 प्रतिशत हालस्टीन की बछियो से सेक्स सीमन का उपयोग करके बछियो कर उत्पादी हुई। 2008 में 14 प्रतिशत हालस्टीग बछियो से मादा बच्चो की उपादी हुई। यह बीज गायो में ज्यादा कार्य नही करता, प्रन्तु बछियो में कुछ हद तक सफल है। परन्तु अमेरिका में 2008 में 2.5 प्रतिशत गायो से भी सेक्स सीमन का उपयोग करके बछिया पैदा की भारत में भी 2010 से इसका उपयोग शुरू हो गया है।
साड के बीज मे ग्ल् किस्म के शुक्राणु होते है। एक्स प्रकार के शुक्राणु से बछिया पैदा होती है। वाई प्रकार के शुकाणु से बछडो पैदा होता है। ग् तथा ल् शुक्राणु की चलाने की गाति उनका आकार तथा उसका प्रकार एवं उस पर उपस्थित विद्युत के हिसाब से उन्हे अलग नही किया जा सकता, परन्तु उन्हे विशेष प्रकार के रंग कर उसमेें उत्पन्न होने वाली फ्लूरोसेन्स की चमक से तथा प्रोसेशन कम्प्यूटर के अन्तर की मदद से अलग किया जा सकता है।
इस मशीन की कीमत 3 करोड रूपया होती है। इस मशीन में इस प्ररम्भ के आकार से छोटी छोटी बूंदे बन जाती है। तथा नर स्प्रम में नगेटिव चार्ज तथा मादा में पोजिटिव चार्ज होता है। इस विद्युत के विभिन्न चार्ज होने पर उन्हे अलग किया जाता है। जो टूटे हुए शुक्राणु जिसमे कोई चार्ज नही होता है वह नष्ट कर दिये जाते है। यह मशीन 1 सेकेण्ड में 25000 शुक्राणुओ को अलग करती है। तथा यह 50 मील प्रति घण्टे की रपतार में चलती है। इसमें से 40 प्रतिशत शुक्राणु नष्ट हो जाते है। तथा 30 प्रतिशत नर निकल जाते है तथा 30 प्रतिशत ही मादा निकलते है।
इस प्रकार 70 प्रतिशत शुक्राणु नष्ट हो जाते है। मशीन की अधिक कीमत एवं शुक्राणु की नष्ट होने की वजह से एक बार पशु को ग्वान करने की खुराक की कीमत 1000 रूपये तक आती है। तथा यह बीज विदेशो से आयत करना पडता है। परन्तु 2018 में भारत सरकार ने अमेरिकन कम्पनियों से अन्बन्ध कर कर 10 सेक्स सीमन बनाने के केन्द्र खोलने की स्वीकृत दे दी है। इस अन्बन्ध के ताहत देशी गाय गिरीए साहिवालए तथा रेड सिंधी ओर भैस के सेक्स सीमन की उपलब्धा आने वाले भविष्य में सम्भव होगी। अभी भी 2018 में पूर्ण तथा चण्डीगढ केन्द्रो से उपलब्ध है। यह सेक्स सीमन 500 रूपये तक उपलब्ध हो जायेगा तथ यदि अगर भारत सरकार अनुदान देती है। तब ओर सस्ता हो जायेगा । इस प्रकार भारतीये गो पालक इसे लम्भावित होगा। यह एक क्रान्तिकारी कदम है तथा आने वाले भविष्य मे यह आशा की जाती है कि लावरीस बछडो की समास्या का समाधन सभंव होगा ।