कृषि में उपयोग होने वाले कीटनाशक खरपतवार नाशक एवं यूरिया आदि आस-पास पड़े होने से गाय उन्हें खा लेती है।
या कभी गलती से ये उनके दाने, चारे में मिल जाते हैं। यह घातक है। इससे पीड़ित जानवर कुछ ही समय में मर भी जाते हैं। कई विषाक्त वनस्पतियों का सेवन कर लेने से भी यह संकट पैदा हो सकता है। जैसे ज्वार की छोटी पफसल की पत्तियों पर साइनाइड होता है, जो कि वर्षा होने पर धुल जाता है। इसलिए छोटी ज्वार की पफसल को कतई नहीं खिलाना चाहिए। इसको आम भाषा मंे ‘ज्वार की भौंरी’ कहते हैं। शहरों में तो बहुत से पशु कूडे़ के ढेर में से प्लास्टिक भी खा लेते हैं, जो कि आंॅत में गलती नहीं है। यह वहीं पफंॅस कर पशु की मृत्यु का कारण बन जाता है। हाॅं, कागज, अखबार आदि नुकसान नहीं करते। कागज में सेलुलोज होता है, वह पशु को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंॅचाता। जैसे भूसा पशु का भोजन है, उसी प्रकार से कागज भी भूसे की तरह ही हैै। आप अखबार को रद्दी मंे न बेचकर पशु को भूसे की जगह खिला सकते हैं। जर्मनी मंे द्वितीय विश्व यु( के समय लोगों ने अपने पशुओं को कागज खिलाकर ही जिन्दा रखा था।
कृषि मंे कीटनाशकों का प्रयोग होता है। इसे सावधानी से इस्तेमाल करें। कभी बाहृय परजीवी की रोकथाम के लिए पशुओं के शरीर में कीटनाशक दिया जाता है। पशु इसे चाट लेते हंै। ऐसी हालत में यदि उनके मुंॅह से झाग निकलता हैै, वह नीचे गिर जाते हैं। उनका शरीर अकड़ने लगता है, तो ऐसी अवस्था में आप तुरन्त उसे एट्रोपीन का इंजैक्शन लगवाएंॅ। इसके अलावा आप एंटीएलर्जिक एविल, डैकसोन तथा प्रिडीनीसिलाॅन ग्लूकोज के साथ अपने पशु चिकित्सक से लगवा सकते हंै। अगर आपका पशु गलती से यूरिया खा ले या यूरिया का
घोल पी ले, तो आप उसको सिरका पिलाएंॅ या सिरके में चीनी घोलकर पिलाएंॅ। छोटी ज्वार खाने से पशु को बचाएंॅ तथा ज्वार को वर्षा से पहले न खिलाएंॅ। इनके ज्वार में साइनाइड होता है। साइनाइड से गाय तुरन्त मर जाती है। वह उपचार का मौका तक नहीं देती। इसलिए गाय के आहार को लेकर भी सजग रहने की जरूरत है।