इटली तथा दक्षिणी यूरोप में गधे के दूध का प्रयोग होता है गधे के दूध में रोग के विपरीत प्रतिरोधित क्षमता के विकास के गुण होते है और इसमें लाइसोजाइम तथा लैक्टोप्रफीन होती है जो कि नवजात बच्चों को रोगों से बचाता है और उनके रोगो को कम करता है और इसमें लैक्टोज, प्रोटीन और लवणों के अलावा ओमेगा 3 पफैटिक एसिड होता है। इसका उपयोग सौन्दर्य प्रसाधन के कार्य तथा त्वचा के रोगों में किया जाता है। यह आजकल भारत में बंगलुरु एवं गुडगाँव में 2 हजार प्रति लीटर के भाव से बिकता है। गधा गर्मी के मौसम में कई बार गर्मी में आता है और इसका कई बार संमवर्धन के बाद 12 माह में ब्याहता है। गधा ब्यांने के बाद 2.5 लीटर दूध प्रतिदिन देता है। शुरु का दूध बच्चे को पिलाया जाता है पिफर 6 से 7 माह तक इससे 1 लीटर दूध प्रतिदिन लिया जा सकता है। इसके दूध में लैक्टोज कापफी अधिक होता है।
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Source: https://www.deccanchronicle.com/lifestyle/health-and-wellbeing/240616/bengaluru-donkeys-milk-could-be-the-magical-cure-for-many-an-ailment.html
बेंगळुरू मे काहा बिकट है।
Gadha kaise doodh de sakta hai...