यह एक छूत वाली विषाणु द्वारा फैलने वाली भयंकर रोग है। इसका विषाणु आदमी में होने वाले खसरे के विषाणु से मिलता है।
यह कुत्तों के बच्चों का भंयकर रोग है। तथा यह बिना टीकाकरण करायें हुए दूसरे कुत्तों को भी लग सकता है। यह पेट तथा फेफड़ों को लगने वाला रोग है। यह कभी- कभी दिमाग और आंखों पर भी असर करता है।
लक्षण
इस रोग में नाक से गाढ़ा द्रव निकलता है। तथा खांसी-जुकाम होता है। अचानक उल्टी तथा पेचिस होती है।
सावधानी
इसमें रोग से ग्रसित कुत्ते को दूसरे कुत्तों से अलग कर देना चाहिए। यह कुत्ते के बच्चों को लगने वाला रोग है। इसलिए इसका टीकाकरण आवश्यक है। यह 7 सप्ताह से छोटे कुत्तें को और ऐसे कुत्तों को जिनकी मां का टीकाकरण नहीं हुआ है को होने की अधिक संभावना होती है। कभी-कभी इस रोग का जीवाणु दिमाग में भी चला जाता हैं जिससे शरीर में झटके आना शुरु हो जाते है।
बचाव
6 सप्ताह का होने पर अपने कुत्ते का टीकाकरण कराऐं तथा 1 माह के बाद पिफर बुस्टर डोज पिलाएं। अपने कुत्ते के बच्चे को बिना टीकाकरण वाले कुत्ते के साथ न रखें।