गाय का पाचन तंत्र चित्र
गाय का पेट चार भागो में बाटा होता है। पहला भाग को रूमन कहते है। यह कुल पेट के भाग का 57 प्रतिशत होता है परन्तु बच्चे में यह कुल पेट का 30 प्रतिशत होता है। रूमन का दूसरा भाग रेटीकूलम कहलता है। यह कुल पेट का 7 प्रतिशत होता है। परन्तु बच्चे मे 8 प्रतिशत होता है। तथा इसकी अतरिक यन्त्री संरचना मधुमक्खी जैसी होती है जेसा कि चित्र मे दिखाया गया है। रेटीकूलम को हार्डवायर एरिया कहते है। क्योकि इसमे पशु द्वारा खायी स्ंिप्रग या कील आकर फस जाती है।
पेट के तीसरे भाग को ओमिजम कहते है। यह कुल पेट का 25 प्रतिशत होता है। परन्तु बच्चे में 30 प्रतिशत होता है यह पेट का वो भाग है। जहां कि पानी तथा मिनरल को सोख लेता है। पेट का चैथा भाग एवोमिजम कहलता है। और यह कुल पेट का 11 प्रतिशत होता है। परन्तु बच्चे में यह कुल पेट का 49 प्रतिशत होता है। बच्चा दाना खाकर ब्यूटायरिक तथा एसीटीक एसीड बनता है इन एसीडो द्वारा रूमन की सतह पर उभार बनते है बच्चे में रूमन को जिससे रूमन का विकास होता है। बच्चे में रूमन का विकास 5 महीने की उम्र में पूरा हो जाता है।
गाय 500 से 600 मिनट तक जुगाली करती है। जुगाली करने के लिए रूमन मे से खाया हुआ चारा बकिलो0र आता है। गाय चारे को मुह में आने पर 40 से 50 बार जुगाली करती है और उस चारे को वापिस रूमन में फरमेन्टेशन के लिए ले जाती है।
चारे को अन्दर से बकिलो0र लाने के लिए गाय के मुंह की ग्रान्थियां 100 से 150 लीटर सेलाईबा रोज निकलती है यह सेलाईवा रूमन के पीएच को भी ठीक रखता है जो कार्बन डाइआॅक्साइड तथा मिथेन फरमनटेशन की क्रिया द्वारा पैदा होती है वह जुगाली करते वक्त बकिलो0र निकल जाती है। गाय प्रतिदिन 500 से 700 लीटर गैसे बनती है। यदि गैस नही निकलती तो गाय का पेट फूल जाता है।
रूमन की विशेषता निम्न प्रकार से है
- यह पीएच को 5.9 तथा 6.5 के बीच स्थित रखता है।
- रूमन में हर 24 सेकेण्ड पर सकुचन होता है।
- रूमन के अन्दर भरी गैस में बहुत तेज बदबू आती है। यह बदबू वेलाटील फेटीएसीड की वजह से होंती है
फेटीएसीड इस प्रकार से है
- एसिटिक एसिड 60 से 75 प्रतिशत होता है तथा यह चिकनाई बनाता है।
- प्रोपाइनिक एसिड 20 प्रतिशत होता है यह ग्लूकोज से लेक्टोज बनता है।
- ब्युटारिक एसीड यह 15 प्रतिशत होता है तथा यह फैट बनता है।
- एसीटीक एसीड तथा ब्यूटारिक एसीड का अनुपात 2 या 3 का होता है । परन्तु यदि गाय को दाना अधिक दिया जाता है तो यह अनुपात बदल जाता है। ऐसे में एसीटीक एसीड 50 प्रतिशत हो जाता है प्रोपाइनिक एसीड 25 प्रतिशत हो जाता है । इस आवस्था में गाय को एसीडीटी हो जाती है जिस वजह से नीचे लिखे परिवर्तन आते है।
- पीएच 6 के नीचे हो जाता है।
- वोलाटाइल एसीड कम बनते है।
- जीवाणुओ की सख्या कम हो जाती है।
- गाय लगडा कर चलती है। गाय चारा कम खाती है एवं दूध कम देती है।
रूमन मे पायी जानी वाली प्रोटीन
रूमन में तीन प्रकार की प्रोटीन मिलती है पहली प्रोटीन 30 प्रतिशत होती है। एवं इसे घुलनशील प्रोटीन कहते है। तथा यह आमोनिया बनाती है तथा जीवाणुओ की प्रोटीन बनाती है। दूसरी प्रोटीन डिग्रेडेवल यह ओमोनिया तथा एमिनो एसीड बनती है तथा यह 65 प्रतिशत होती है। तीसरी प्रकार की प्रोटीन का विघटन नही होता है यह प्रोटीन का 35 प्रतिशत होती है। तथा यह छोटी आत मे पच जाती है। यह रियूमन मे बिना विघटन के छोटी आत में चली जाती है।
अबोमिजम का पीएच अमली होती है तथा छोटी आत का पीएच क्षारीय होता है। रूमन तथा रेटीकूलम में होता हुआ जीवाणु ओमेजम में जाते है। जहा वह टूट कर गाय को प्रोटीन प्रदान करते है। ओमेजम में विटामिन तथा मिनरल एवं इलैक्टलाईट सोख लिये जाते है। ओमाजम मे पानी भी सोख लिया जाता है। फिर प्रोटीन एवं फेट वास्ताविक फेट यानि एवोजिम मे जाता है। जहा पीएच अमलीय होता है।
इस अमलीय पीएच में प्रोटीन छोटे भागो में विभाजित हो जाती है। इसे आगे प्रोटीन तथा फेट छोटी आत में जाते है। जहां पर पीएच क्षारीय होता है। छोटी आत में प्रोटीन फेट पच जाते है। तथा बडी आत भोजन के पहुँचने पर बचा हुआ फरमनटेशन होता है। एवं जीवाणु द्वारा विटामिन की उत्पती होती है। यह पर पानी सोख लिया जाता है। तथा गोबर कुछ गैसे बकिलो0र निकलती है।
नोटः घुलनशीन प्रोटीन से उत्पादन आमोनिया जीवाणुओ की प्रोटीन बनती है तथा कुछ आमोंनिया सलीवा में जाती है तथा रूमन के पीएच को कम होने से बचती है। इसी कारण गाय के मूत्र में ज्यादा बदबू नही आती है।
गाय भैस की पेट की ऐसीडीटी
फरमेनटेशन 6.2 से 6.8 के बीच की पर होता हैं इस पीएच को नियन्त्रित करने के लिए गाय के सलाइबा में आये हुए कार्बोेनेट का योगदान होता है। हम पशु को जितना ज्यादा भूसा या हरा चारा देते है उतना ही अध्कि सलाईबा निकलती है। परन्तु गाय को दाना देना से प्रोपाइनिक एसीड बनता है जो लेक्टोज बनता है जो कि दूध बनाने के काम आता है।
परन्तु अधिक दाना देने पर गाय दाने से लैक्टिकएसीड बनता है जिससे रूमन का पीएच 6.2 से घट कर 6 एवं 5.2 के बीच मे आ जाता है इस पीएच पर को गाय को एसीडीटी हो जाती है एवं रूमन काम करना बन्द कर देता है ऐसी आवस्था में गाय को कलमी सोडा एवं इस्ट देने से लाभ होता है। रूमन में फारमेनटेशन से बोलाटाईल फैटी एसिड (एसिटिक, ब्यूटाईरिक तथा प्रोपाईनिक) निकलते ही है जो कि रूमन की दीवाल में चलने वाले खून के संग जिगर में जाकर फैट तथा लेक्टोज बनते है।
गायों में जिगर की गडबडी कम होती है परन्तु ज्यादा दाना देने पर एसीडीटी हो जाती है ओर रूमन की चाल बन्द हो जाती है जिससे अपच हो जाता है।