सेक्स सीमन का उपयोग
बछिया पैदा करने वाला सीमेन
भारतवर्ष में गाय को बछडा पैदा करके बैल के रूप में इस्तमाल करने के लिए किया जाता था। यहा बैल कृषि माल ढौने तथा परिवहन में काम आता था परन्तु टैªक्टर तथा वकिलो0नो के उपलब्धा के कारण इसका उपयोग करीब करीब समाप्त हो चुका है। परन्तु गायो को दुग्ध उत्पादन में इस्तेमाल कि जाता है। यदि किसी के पास 10 गाय है तो वह प्रतिवर्ष 7 बच्चे को जन्म देगी। इन 7 बच्चो में से 3 या 4 नर होगे जिनकी कोई भी उपयोगिता नही है। यह बडे होकर सडको पर यातायात में विभिन्न पहुचते है। तथा यहा चारा की भी समास्या पैदा कर देते है परन्तु अब केवल बछिया पैदा करने वाला सीमेन भी उपलब्ध है। परन्तु इसकी कीमत अधिक होने से इसका उपयोग नही हो रहा था। तथा इसे बकिलो0र से आयत करना पडता था। परन्तु अब भारत सरकार द्वारा 10 सेक्स सीमन सेन्टर खोले जा रहे है। अब जल्दी ही साहिवाल, सिधि, राठी, भैस का अति उतम साडो को सस्ता बीज बछिया पैदा करने वाला उपलब्ध हो जायेगा। इस क्रान्तिकारी कदम मे कृत्रिम गर्भाधान में उपयोग किये जाने वाले हार्मोनो को विषेश महत्व रहेगा। जिसका विवरण नीचे दिया हुआ है।
बछडों की समास्या तथा नियन्त्रित प्रजनन
पशु प्रजनन अब आदमी के अपने वश में है। वह जब चकिलो0े, पशुओं को प्रजनन के लिए तैयार कर सकता है। हम जानते हैं कि प्राकृतिक तौर पर गाय एक निश्चित समयावधि में ही प्रजनन करती है। पर अब ऐसी तकनीकें विकसित कर ली गई हैं कि गाय को हम अपने मन मुताबिक प्रजनन करा सकते हैं। यह सारा खेल प्रजनन दवाओं अर्थात हारमोन का है।
कई गायों को एक साथ इंजेक्शन लगाकर उनको एक साथ गर्भित करा जा सकता है। कृपया चित्र में देखें। अर्थात इन गायों की हीट को सिनक्रोनाइज एक साथ के कई गायों का एक साथ क्र त्रिम गर्भाधान हो जाता है।
- इस प्रकार से पशु चिकित्सक को बार-बार नहीं आना पडेगा।
- सभी गायों का गर्भ परीक्षण एक साथ हो सकता है।
- बच्चा पैदा होने का समय कई गायों का एक साथ होगा।
- उनके गर्मी आने की जानकारी होने से अच्छे से अच्छे वीर्य का प्रबन्धन आसान होगा।
- इस विधि से अपनी इच्छा शक्ति अनुसार दुग्ध उत्पादन किया जा सकता है।
- इस विधि को अपनाने से रिपीर्ट ब्रिडींक समस्या का समाधान संभव है।
- इस प्रकार से समय एवं श्रम की बचत होगी।
गाय में 2 माह का गर्भ
दो माह के गर्भ की जांच
2 माह का गर्भ। गर्भधान के समय तथा 2 माह तक कोई टीकाकरण तथा कीडे की दवाई नहीं देनी है।
माह का गर्भ की जांच
ब्याने वाली गाय
जैसा कि चित्र में दिखाया गया है कि 6 से 7 माह की ग्याभिन गाय का बच्चा पेट में नीचे उतर जाता है एवं 7 मकिलो0 की गर्भावस्था में गाय का दूध सूखा देना चाहिए।
गाय लेटकर ब्याती इसलिए उसे परेशान न करे व उसे खड़ा न करे। ब्याती हुई गाय के बयाने के 20 दिन पहले व 20 दिन बाद तक गाय का प्रबन्धन ठीक रखें।
प्रोजनन सीमन का इतिहास
1677 ANTONIE VON LEEUWENHOEK SPERM को सूक्ष्मदर्शी से देखा था। परन्तु 1788 में स्ं्रंददव ैचंसइंद्रंदप ने कुते में पहली बार कृत्रिम गर्भाधान किया तथा उससे चा बच्चे पैदा हुए।
1938 में वीर्य को लम्बी अवधि तक गिलिसराल प्रयोग का उपयोग करके इससे सुरक्षित रखने का अविष्कार हुआ। परन्तु यह विधि 1950 से प्ररम्भ हुई। अब तरलनाइटोजन से – 297 डिग्री सेटीग्रेट इसको 30 साल तक सुरक्षित रखा जा चुका है।
कृषि के यन्त्रिकरण तथा टैªक्टर से खेती करने से बैलो की उपयोगिता नही के बाराबर है। ऐसे में गाय के बछडे एक बडी समस्या है। धार्मिक कारणो से गो वध पर प्रतिबन्ध है। इसलिए उनका कोई उपाय नही है। भारतवर्ष में 2010 से बछिया पैदा करने वाले उपयोग शुरू हो गये है। तथा अब 2017 यह वीर्य भारत मे ही उत्पादित किया जा रहा है जिससे इसकी कीमत मे कमी होने की आशा है। सांड के बीज मे ग् तथा ल् किस्म के शुक्राणु होते है। ग् प्रकार के शुक्राणु से बछिया पैदा होती है। ल् प्रकार के शुक्राणु से बछडे पैदा होता है। ग् तथा ल् शुक्राणु की चलाने की गाति उनका आकार तथा उसका प्रकार एवं उस पर उपस्थित विद्युत के हिसाब से उन्हे अलग नही किया जा सकता, परन्तु उन्हे विशेष प्रकार के रंग से रगकार कर उसमेें उत्पन्न होने वाली फोलोरेसन की चमक से तथा कम्प्यूटर के अन्तर की मदद से अलग किया जा सकता है। इस प्रकार अब बछिया पैदा करने वाला बीज
कृत्रिम गर्भाधान
कृत्रिम गर्भाधान की क्रिया में जीवत शुक्राणु को सांड से इकट्टा कर के उपकरण के द्वारा गाय की बच्चेदानी में गाय के हिट में आने पर रखा जाता है। इसको चित्रो द्वारा दिखाया गया है।
मादा गाय के जनन अंग
शुक्राणुओ को प्रवेश द्वार के बीच में छोडा जाता है। क्योकि सरर्विस में टुटे फूटे शुक्राणुओ को छाट लिया जाता है।
सीमेन को बच्चे दानी में न डाले
शुक्राणुओ को सरर्विस के पार डालने से खराब शुक्राणु की जो छटाई सरर्विस में होती है वो नही हो पायेगी । इसलिए चित्र में दिखाये हुए स्थान पर शुक्राणुओ का छोडना गलत है बच्चेदानी में छोडी जाने वाली दवाई को बच्चेदानी मे डाले।
कृत्रिम गर्भाधान उपकरण उचित स्थान पर शुक्राणुओ का छोडा जाना
एक शुक्राणु का चित्र
शुक्राणु तथा अण्डे का अनुपात
हजारो शुक्रणुओं में से केवल एक ही शुक्राणु अण्डे में प्रवेश करता हैै
स्पर्म का आकार 10 माइक्रोन का होता है तथा गाय का अडा 200 माइक्रोन का होता है। 15 मिलियन स्पर्म में से जो एआई द्वारा गाय में डाले जाते है। इसमे से केवल एक ही गाय के अण्डे में घुस पाता है इसके स्पर्म को अण्डे से मिलने को फर्टीलाइजेशन कहते है।
बच्चेदानी में शुक्राणु की आयु 72 घण्टे होती है। तथा मादा के अण्डे की आयु 24 घण्टे होती है। परन्तु अण्डे को बच्चेदानी से बाहर निकलकर परख नली में फर्टीलाइजेशन कर सकते है। इस क्रिया को परखनली का बच्चा कहते है।
गर्भाधान की क्रिया चित्र
भ्रूण प्रत्यरोपण की क्रिया चित्र
गाय को हार्मोन का इजेक्शन देकर 30 या 40 अण्डे निकाले जा सकते है तथा बच्चेदानी में स्पर्म छोडकर उनसे भ्रूण बनाये जा सकते है। तथा इन सभी भ्रूणो को बाहर निकाल कर एक भ्रूण एक गाय में रखकर बच्चे पैदा किये जा सकते है। इस प्रकार एक अच्छी गाय ओर एक अच्छे सांड की कई अच्छी फोटो बनाई जा रही है। एक गाय अपने जीवन काल में 3 या 4 बछिया देती है परन्तु इस विधि द्वारा एक गाय के 30-40 बच्चे 9 महीने में पैदा किये जा सकते है। इस क्रांतिकारी परिवर्तनकारी तकनीकी से प्रगति की गति कई गुना तेज हो क्लोन बफैला का बच्चा गई है। इस तकनीकी से गाय के भ्रूणो को लम्बी अवधि तक तरल नाइटोजन में रखकर गाय ओर सांड के मरने के बाद भी बच्चे उत्पन्न किये जा सकते है। यह विधि गायों मे सफल है। परन्तु भैसो मे भू्रण प्रत्यारोपण व्यवहारिक नही है। भारत वर्ष के हिसार के भैस रिर्सच सेंटर मे भैस के शरीर से एक सेल लेकर पूर्ण भैंस को बना लिया है जिसको क्लोन बफैलो कहते है।