ब्यांने वाली गाय का आवास
गर्मी से बचाव आवश्यकः- पशुओं को गर्मी से बचाना बेहद जरूरी है इसके लिए किसी ज्यादा खर्चीले घर की जरूरत नहीं है।
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गर्मी से बचाव आवश्यकः- पशुओं को गर्मी से बचाना बेहद जरूरी है इसके लिए किसी ज्यादा खर्चीले घर की जरूरत नहीं है।
आजकल ‘मनरेगा’ योजना की वजह से लेवर (मजदूर) मिलना बहुत मुश्किल होता जा रहा है। हालत यह है कि लेवर, दस हजार रूपये महीने से कम में नहीं मिलती।
यह सामान्य समझ की बात है कि हमें गर्मी से राहत तभी मिलती है, जब हमारा पसीना सूखता है। पसीना तभी सूखेगा, जब हवा में आर्द्रता यानी नमी कम होगी।इसीलिए बरसात में हवा में आर्द्रता बढ़ जाने से पसीना नहीं सूखता। हमें चिपचिपापन महसूस होता है।
मौसम की मार देशी गायें तो आम तौर पर झेल जाती हैं। मगर संकर गायों के लिए यह मौसमी-मार अझेल है। खास तौर से गर्मी व उमस में तो उनकी शामत ही आ जाती है। वे सुस्त और अन्ततः बीमार पड़ जाती हैं। चारा खाना कम कर देती हैं। दूध घटा देती हैं।
बीटा केसीन दूध में पायी जाने वाली कैल्शियम युक्त प्रोटीन है जो कि हड्डियों को मजबूत करने, प्रतिरक्षण प्रणाली को ठीक करने एवं जीवन क्रियाओं में सहायक होती है। प्रारम्भ से ही गाय की बीटा केसीन ए2 प्रकार की है, परन्तु अब ए1 प्रकार की बीटा केसीन यूरोपियन नस्ल की गायों में पायी जाने लगी…
गाय बियाने के तीन महीने के भीतर प्रायः गर्भधारण कर लेती है। जब वह सात महीने की गर्भित रहती है,
हाल में ब्याही हुई गाय का दूध निकालने का प्रभाव उसके दूध उत्पादक पर पड़ता है।
यह जान लेना भी जरूरी है कि आदमी व गायों में गर्भाधान की जांच का तरीका भिन्न है। मनुष्य, बन्दर व बन्दर जाति के प्राणियों में माहवारी रूकने से गर्भधारण की पुष्टि हो जाती है।
यदि आपने दो-तीन गायें रखी हैं तो पशु चिकित्सक या एल ई ओ- लाइफ स्टाॅक प्रसार अधिकारी से गर्भाधान करायें।पशु 20 दिन के अन्तराल में गर्मी में आते हैं। परन्तु ब्याने के पहली बार गरम होने पर या बछिया के पहली बार गरम होने पर उसे गर्भित नहीं करना चाहिए। यह भी समझ लेना चाहिए…
आजकल हम दवाओं का प्रयोग करके ब्यायी हुई या उन गायों को, जो कि खाली हैं, एक साथ ‘गर्मी’ में लाकर प्रजनन करा सकते हैं।