Browsing category

Agriculture

संधारणीय (Sustainable) कृषि में केंचुओं का योगदान

यद्यपि केंचुआ लंबे समय से किसान का अभिन्न मित्रा हलवाहा (Ploughman)  के रूप में जाना जाता रहा है। सामान्यतः केंचुए की महत्ता भूमि को खाकर उलट-पुलट कर देने के रूप में जानी जाती है जिससे कृषि भूमि की उर्वरता बनी रहती है।

वर्मिंग कम्पोज (केंचुओं की खाद)

हम सभी अच्छी तरह जानते हैं कि भूमि में पाये जाने वाले केंचुए मनुष्य के लिए बहुपयोगी होते हैं। मनुष्य के लिए इनका महत्व सर्वप्रथम सन् 1881 में विश्व विख्यात जीव वैज्ञानिक चाल्र्स डार्विन ने अपने 40 वर्षों के अध्ययन के बाद बताया। इसके बाद हुए अध्ययनों से केंचुओं की उपयोगिता उससे भी अधिक साबित…

चारे का साईलेज (अचार) बनाना (Stored Fodder- Silage)

बरसात में जब अधिकाधिक मक्का की खेती होती है। जब मक्का को काटकर आॅक्सीजन रहित स्थान पर 45 दिन तक रखने से मक्का साईलेज बनता है। इसे गाय भैंस को खिलाकर अधिक दूध उत्पादन कर सकते है।

मोरंगा या सहेजन की खेती

मोरंगा या सहेजन की पत्ती कम वर्षा वाले क्षेत्रों में पशुओं के लिए साल भर चारा प्राप्त कराती है। यह 100 मिट्रिक टन चारा प्रति हेक्टेअर एक बार फसल लगानें से 3 वर्ष तक फसल देती है।

हाइड्रोपोनिक द्वारा चारा उगाना

पशुओं के लिए चारा उगाना घास का चारा घास के बीजों से डेयरी पशुओं तथा मुर्गी, सूअर और बकरी के लिए उगाया जा सकता है। यदि हम वातावरण में कार्बन डाॅइ आॅक्साइड की मात्रा को बढ़ा दें तो 8 दिन से पहले भी चारा उगाया जा सकता है।