इस बीमारी से डेरी उद्योग को बहुत नुकसान होता है। इसमें गाय के बच्चे को दस्त छूट जाते हैं और इस तरह शरीर में पानी की कमी होने से उसकी अक्सर मृत्यु हो जाती है। यहां यह जान लेना चाहिए कि इन बच्चों के शरीर में 70 प्रतिशत पानी होता है। पानी की कमी होने पर इन का दिल धड़कना बंद हो जाता है। पानी के अलावा शरीर में सोडियम, पोटेशियम और खनिज लवणों की भी कमी हो जाती है। इससे पशु का रक्त भी अम्लीय हो जाता है और उसकी मृत्यु हो जाती है।
दस्त की स्थिति में बच्चे को 5 लीटर पानी में एक बड़ा चम्मच सोडा बाइकार्बोनेट, छोटा चम्मच नमक एवं 125 एम.एल. 50 प्रतिशत ग्लूकोस का घोल मिलाकर पीलाते रहना चाहिए। अगर बच्चा यह घोल नहीं पीता और कमजोर हो जाता है तो उसे नस के द्वारा ग्लूकोस चढ़ाना चाहिए। बच्चे को खीस या दूध पिलाने से पफायदा होता है। ज्यादातर डाइरिया में ‘इंपफैक्शन’ का खतरा रहता है। इसलिए डाॅक्टर से एंटीबायोटिक के इंजैक्शन लगाने चाहिए।