यह बीमारी पशुओं से मनुष्यों में फैल जाती है। तथा संक्रमित पशु का कच्चे दूध या कच्चे मांस से फैलता है।
इस बीमारी से गायों में छह माह में ही गर्भपात हो जाता है। बीमारी से जोड़ों में सूजन व दर्द होता है तथा काफी पसीना आता है। इस बीमारी का उपचार ‘एंटीबायोटिक’ से कई हफ्ते तथा महीने ईलाज कराने से ही होता है। इसकी जांच विशेष लैब में ही हो सकती है। यह जानवरों से मनुष्य में तथा मनुष्यों से जानवरों में फैलने वाली बीमारी है। इसका टीका तीन महीने से छह महीने की बछिया के लगाने से इस रोग का बचाव किया जा सकता है। अदमियों में इसका प्रकोप होने से बुखार आता है तथा अण्डकोश सूज जाते हैं।