आन्तरिक परजीवियों का उपचार
गाय के आन्तरिक परजीवी गर्मी के मौसम में अधिक पनपते हैं। यह समझ लेना आवश्यक है कि अनावश्यक कीड़ों की दवाई देना पशु के लिए तथा पशु का दूध पीने वालों के लिए हानिकारक हो सकता है।
गाय के आन्तरिक परजीवी गर्मी के मौसम में अधिक पनपते हैं। यह समझ लेना आवश्यक है कि अनावश्यक कीड़ों की दवाई देना पशु के लिए तथा पशु का दूध पीने वालों के लिए हानिकारक हो सकता है।
कृषि में उपयोग होने वाले कीटनाशक खरपतवार नाशक एवं यूरिया आदि आस-पास पड़े होने से गाय उन्हें खा लेती है।
यह मक्खी गाय के अगले पैर के बालों में अण्डा देती है। जिसमें से लार्वा निकलकर खाल के नीचे होता हुआ खाने की नली के पास पहुंच जाता हैं वहां से यह रीड़ की हड्डी के ऊपर खाल के नीचे गांठ बना लेता है। लार्वा इस गांठ से मक्खी बनकर बाहर निकल जाता है। इससे…
यह भी मनुष्यों से जानवरों में और जानवरों से मनुष्यों में फैलने वाली बीमारी है। मनुष्यों में इस रोग को ‘सोने-वाली’ बीमारी कहते हैं।
यह बीमारी पशुओं खासकर कुत्तो के काटने से आदमियों में फैलती है। कुत्तो के काटने के 9 दिन बाद से कई महीनों बाद तक यह रोग हो सकता है।
Retention of Placenta is associated with brucella and hormonal dis-balance at the time of parturition (at the time of calving). At the time of calving if the cattle or buffalo is not properly fed, then there are chances of retention of placenta. In very week cow and buffalo, the placenta is not expelled. If Placenta…
यह रोग शरीर में कैल्सियम की कमी होने से जानवरों के बियाने के कुछ दिन बाद होता है। इस रोग में शरीर में संग्रहित कैल्सियम हड्डियों में से निकलकर नहीं आता।
इस बीमारी को ‘फैसियोलासिस’ भी कहते हैं। यह पत्तीदार पौंधों में पनपने वाला ‘जिगर’ का कीड़ा है। इसका जीवन चक्र चित्रा में दर्शाया गया है।
यह बीमारी चूहों से कुत्तों में और फिर कुत्तों से मनुष्यों में आती है। इस बीमारी में बुखार तथा बदन में दर्द होता है और नाक से खून भी आ सकता है। किडनी में भी खून आता है।
इस बीमारी से हाथ व पैर की अंगुलियां सिरे से काली हो जाती हैं। यह परजीवी से फैलने वाली बीमारी है जो कि सैंड फ्लाई से होती है। इसका परजीवी पशुओं में रहता है और जब मक्खी सैंड फ्लाई पशुओं को काटकर मनुष्यों को काटती है, तो यह बीमारी मनुष्यों में भी फैल जाती है।